नजाकत तो देखिये साहेब..चांद सा जब कहा उनको..
तो कहने लगी..चांद कहिये ना ये चांद सा क्या है..
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
नजाकत तो देखिये साहेब..चांद सा जब कहा उनको..
तो कहने लगी..चांद कहिये ना ये चांद सा क्या है..
उसका नजर से दूर रह कर भी, मेरी हर सोंच में हमेशा रहना…..
किसी के पास रहने का तरीका हो,
तो ऐसा ही हो….
सिर्फ मोहब्बत ही ऐसा खेल है..
जो सीख जाता है
वही हार जाता है।
किसी ने मुझसे पूछा
कि
तुम्हारा अपना कौन है…
मैने हँसते हुए कहा..
जो किसी और के लिए मुझे नज़र अंदाज़ ना करे
बहुत सोंचा बहुत समझा बहुत देर तक परखा,
तनहा हो के जी लेना
मोहब्बत से बेहतर है!
कोई ना दे हमें खुश रहने की दुआ, तो भी कोई बात नहीं वैसे भी हम खुशियाँ रखते नहीं, बाँट दिया करते है…i
पसंद करने लगे हैं अब शायरी मेरी मतलब मुहब्बत सिर्फ मैंने ही नहीं की।
कैसे छोड़ दूँ साथ तेरा प्रिय ,जीवन की ढलती शामों में ….!
धूप -छाँव की साथी हो ,मेरे सुख -दुःख की राहों में …..!!
गलत कहते है लोग कि संगत का असर होता है,वो बरसो मेरे साथ रही, मगर फिर भी बेवफा निकली..!!
ये कैसी किस्मत है दिल और भरोसे की,,,
कि सिर्फ टूटना लिखा रब ने मुकद्दर में…