ज़मीर ज़िंदा रख

ज़मीर ज़िंदा रख, कबीर ज़िंदा रख..
सुल्तान भी बन जाए तो, दिल में फ़क़ीर ज़िंदा रख..!
हौसले के तरकश में,
कोशिश का वो तीर ज़िंदा रख..
हार जा चाहे जिन्दगी मे सब कुछ,
मगर फिर से जीतने की उम्मीद जिन्दा रख..!

कहने वालों का

कहने वालों का कुछ नहीं जाता​;
सहने वाले कमाल करते हैं;
कौन ढूंढें जवाब दर्दों के​;​
लोग तो बस सवाल करते है।

बेवफा से भी

बेवफा से भी प्यार होता है ।
यार कुछ भी हो यार होता ।।
जो हखीकत मे प्यार होता है।
ऊमर मे एक बार होता है।।