हम न समझे थे बात इतनी सी ,
ख्वाब शीशे के दुनिया पत्थर की…
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
हम न समझे थे बात इतनी सी ,
ख्वाब शीशे के दुनिया पत्थर की…
हर बात मानी है सर झुकाकर तेरी ए ज़िन्दगी ….
हिसाब बराबर कर तू भी तो कुछ शर्ते मान मेरी……
जिंदगी क्या हैं मत पूछो
सवर गई तो दुल्हन, बिखर गई तो तमाशा हैं !
हमारी वफ़ा पर खाक डालो……
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तुम बताओ आजकल किसके हो ?
मीठी यादों के साथ गिर रहा था,
पता नहीं क्यों फिर भी मेरा वह आँसु खारा था…
बेहतर बनाने की कोशिश में,
तुझे वक़्त ही नहीं दे पा रहे हम,
माफ़ करना ऐ ज़िंदगी…!
…तुझे जी नहीं पा रहे हम।
आज नहीं तो कल तुझे अहसास हो ही जायेगा
के नसीब वालों को मिलते है फिकर करने वाले|
इश्क़ करता हूँ, तक़ाज़ा नहीं कर सकता मैं
मेरा दामन है सो मेला नहीं कर सकता मैं
इतनी फ़ुर्सत है कि इक दुनिया बना सकता हूँ
पर कोई है जिसे अपना नहीं कर सकता मैं
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तुम इश्क़ की खैरात दे रहे हो मुझे
मैं बेवफा से दामन छुड़ा कर आया हूँ।
वो परिंदा था, खुले आसमां में उड़ता था
उसे इश्क हुआ, सुना अब जमीं पे रेंगता है..