तनहाई से नही …. शिकायत तो मुझे उस भीड से हैं …
जो तेरी यादो को मिटाने कि कोशिश में होती हैं …..
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
तनहाई से नही …. शिकायत तो मुझे उस भीड से हैं …
जो तेरी यादो को मिटाने कि कोशिश में होती हैं …..
तकदीर के रंग कितने अजीब है,
अनजाने रिश्ते है फिर भी हम
सब कितने करीब हैं !
तेरी जगह आज भी कोई नही ले सकता
खूबी तूजमे नही कमी मुझमें है
हम तो फूलों की तरह अपनी आदत से बेबस हैं।
तोडने वाले को भी खुशबू की सजा देते हैं।
तनहाई से नही …. शिकायत तो मुझे उस भीड से हैं …
जो तेरी यादो को मिटाने कि कोशिश में होती हैं …..
तकदीर के रंग कितने अजीब है,
अनजाने रिश्ते है फिर भी हम
सब कितने करीब हैं !
कोई छाँव, तो कोई शहर ढूंढ़ता है
मुसाफिर हमेशा ,एक घर ढूंढ़ता है।।
बेताब है जो, सुर्ख़ियों में आने को
वो अक्सर अपनी, खबर ढूंढ़ता है।।
हथेली पर रखकर, नसीब अपना
क्यूँ हर शख्स , मुकद्दर ढूंढ़ता है ।।
जलने के , किस शौक में पतंगा
चिरागों को जैसे, रातभर ढूंढ़ता है।।
उन्हें आदत नहीं,इन इमारतों की
ये परिंदा तो ,कोई वृक्ष ढूंढ़ता है।।
अजीब फ़ितरत है,उस समुंदर की
जो टकराने के लिए,पत्थर ढूंढ़ता है
|
तुमसे नहीं तेरे अंदर बैठे खुदा से मोहब्बत है मुझे,
तू तो फ़क़त एक ज़रिया है मेरी इबादत का!
गालिब ने भी क्या खूब लिखा है…
दोस्तों के साथ जी लेने का
मौका दे दे ऐ खुदा…
तेरे साथ तो मरने के बाद भी
रह लेंगें ।
कह दो गमो से कहीं और बसेरा करे अब..!!
मेरे आक़ा की विलादत का दिन क़रीब है..!!