फिर पलट रही है सर्दियों
की सुहानी रातें …
फिर तेरी याद में जलने के ज़माने आये..
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
फिर पलट रही है सर्दियों
की सुहानी रातें …
फिर तेरी याद में जलने के ज़माने आये..
इस अनोखी दुनिया का,
बस यही एक तोहफा है ।
खूब लुटाया अपनापन,
फिर भी जाने क्यों लोग खफा हैं ।
इस स्वार्थी दुनिया मे
जीना है तो…
नींद मे भी पैर हिलाते
रहो….!!
वर्ना लोग मरा हुआ समझ कर..,
जलाने मे देर
नही
लगाएंगे….!
सच पूछो तो खुशबु भी
झूठी लगी मुझे …..
देखा जो मैंने फूल को फूल बेचते …!!
रौनकें कहां दिखाई देती हैं,
अब
पहले जैसी…
अखबारों के इश्तेहार बताते हैं,
कोई त्यौहार आया है…
वक़्त के साथ हर कोई बदल जाता है
गलती उसकी नहीं जो बदल जाता है
बल्कि गलती उसकी है जो
पहले जैसा रह जाता है
कल भी हम तेरे थे…आज भी हम तेरे है.. बस फर्क इतना
है
पहले अपनापन था…अब अकेलापन है..
लो आज हम तुमसे निकाह-ए-इश्क करते हैं ……
हाँ मुझे तुमसे “मोहब्बत है , मोहब्बत है , मोहब्बत है”……..
अब तेरा ऐतबार तो कभी करना ही नहीं.. ऐ-दिल..!
…
उजाड़ बैठा है तू हमे, बे-ईमान कहीं का..!!
ग़मों ने मेरे दामन को यूँ थाम लिया है …
..
जेसे उनका भी मेरे शिव कोई नही…!!