न दिल न ज़ज्बे न जोशे उल्फत,
तकल्लुफन मुस्करा रहा है.
वो अपने बेजान चेहरे पे,
जानदार चेहरे सजा रहा है.
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
न दिल न ज़ज्बे न जोशे उल्फत,
तकल्लुफन मुस्करा रहा है.
वो अपने बेजान चेहरे पे,
जानदार चेहरे सजा रहा है.
वो खुदा से क्या मोहब्बत कर सकेगा..!
जिसे नफरत है उसके बनाये बन्दों से..!
हवाएँ ज़हरीली करने वाले,ये ज़मीं छोड़ ही दें तो अच्छा….
मेरी नेकनीयती पर करना यकीं छोड़ ही दें तो अच्छा….
उनकी कुलबुलाहट से अब मैं भी नहीं इतना “ग़ाफ़िल”..
अब कुछ साँप मेरी आस्तीं छोड़ ही दें तो अच्छा….
कभी आग़ोश में यूँ लो की ये रूँह तेरी हो जाए।
इस छोटे से दिल में किस किस को
जगह दूँ ,
गम रहे, दम रहे, फ़रियाद रहे, या तेरी
याद रहे..
रात भर जलता रहा ये दिल उसकी याद में ,
समझ नही आता दर्द प्यार करने से होता है
या याद करने से …
हमें उनसे कोई शिकायत नहीं;
शायद हमारी किस्मत में चाहत नहीं!
मेरी तकदीर को लिखकर तो ऊपर वाला भी मुकर गया;
पूछा तो कहा, “ये मेरी लिखावट नहीं”!
वो पतथर भी मारे तो उठा के झोलियाँ भर लूँ
कभी मोहब्बत के तोहफ़ो को लौटाया नही करते ।
कहानियाँ लिखने लगा हूँ मैँ अब.!!
शायरियोँ मेँ अब तुम समाती नहीँ.!!
Wafa fitrat me nahi teri Lekin,
Yakin hum behisaab tujhpe Kartey hai aaj bhi.