छोड़ ही दें तो अच्छा

हवाएँ ज़हरीली करने वाले,ये ज़मीं छोड़ ही दें तो अच्छा….

मेरी नेकनीयती पर करना यकीं छोड़ ही दें तो अच्छा….

उनकी कुलबुलाहट से अब मैं भी नहीं इतना “ग़ाफ़िल”..

अब कुछ साँप मेरी आस्तीं छोड़ ही दें तो अच्छा….

कोई शिकायत नहीं

हमें उनसे कोई शिकायत नहीं;
शायद हमारी किस्मत में चाहत नहीं!
मेरी तकदीर को लिखकर तो ऊपर वाला भी मुकर गया;
पूछा तो कहा, “ये मेरी लिखावट नहीं”!