जहाँ दूसरे को समझाना मुश्किल हो जाये,
वहाँ खुद को समझा लेना बहतर होता है ।
Category: Sad Bewafa Shayri
भटकने पर मजबूर
हालात कर देता है भटकने
पर मजबूर……………..
घर से निकला हुआ हर शख्स
आवारा नही होता ………….
ख़ामोशी फितरत हमारी
समंदर सारे शराब होते तो
सोचो कितने फसाद होते,
हकीक़त हो जाते ख्वाब सारे तो
सोचो कितने फसाद होते..
किसी के दिल में क्या छुपा है
बस ये खुदा ही जानता है,
दिल अगर बेनक़ाब होते तो
सोचो कितने फसाद होते..
थी ख़ामोशी फितरत हमारी
तभी तो बरसों निभा गई,
अगर हमारे मुंह में भी जवाब होते
तो सोचो कितने फसाद होते..
हम अच्छे थे पर लोगों की
नज़र मे सदा रहे बुरे,
कहीं हम सच में खराब होते तो
सोचो कितने फसाद होते….. !!!!
समझ नहीं पाता
किसी ने
ज़हर कहा है किसी ने शहद कहा
कोई समझ नहीं पाता है ज़ायका
मोहब्बत का
चांद की तरह
तू बिल्कुल चांद की तरह है…
ए सनम..,
नुर भी उतना ही..
गरुर भी उतना ही..
और दूर भी उतना ही.!.
मुसकुराहटे झुठी भी
मुसकुराहटे झुठी भी हुआ करती है,
देखना नहीं समझना सीखो…
कभी इतना मत
कभी इतना मत मुस्कुराना की नजर लग जाए
जमाने की हर आँख मेरी तरह मोहब्बत की नही होती….!!!
मासूमियत का कुछ
मासूमियत का कुछ ऐसा अंदाज़ था मेरे
सनम का,
उसे तस्वीर में भी देखूं तो पलकें झुका लेती थी….
बड़ी बेवफ़ा हो जाती
बड़ी बेवफ़ा हो जाती है ग़ालिब ये घड़ी भी सर्दियों में।
पाँच मिनट और सोने की सोचो तो तीस मिनट आगे बढ़ जाती है।।
मुझे देख के
मुझे देख के न मुस्कुरा
ज़रा मुस्कुरा के देख ले