कितनी ही शिद्दत से निभा लो तुम रिश्ता,
बदलने वाले बदल ही जाते हैं…!!!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
कितनी ही शिद्दत से निभा लो तुम रिश्ता,
बदलने वाले बदल ही जाते हैं…!!!
जरूरत भर खुदा सबको देता है।
परेशां है लोग इस वास्ते कि, बेपनाह मिले।
गुनगुनाता जा रहा था इक फक़ीर
धूप रहती है न छाया देर तक
इस कदर भूखा हूँ कि .. कभी कभी धोखा भी खा लेता हूँ…!!!!
है याद मुलाक़ात की वो शाम अब तक,
मैं तुझको भूलने में हूँ नाक़ाम अब तक…!
बेतरतीब बेमकसद बेपरवाह हूँ
पिछली सदी की मौत का गवाह हूँ
एक काम करो…
इस दिल को तुम ही रख लो,
बड़ी फ़िक्र रहती है इसे तुम्हारी..!!
उल्फ़त, मोहब्बत, वफ़ा, अफ़साने, अश्क। लगता है
वो आयी थी जिंदगी में
सिर्फ ऊर्दू सिखाने।
समय के एक तमाचे की देर है प्यारे, मेरी फ़क़ीरी भी क्या,
तेरी बादशाही भी क्या..
जिसके पेट खाली है वो झंडा बेच रहे हैं, और जिसके पेट भरे है वो अपना देश बेच रहे हैं।