एक पुरानी तस्वीर जिसमे तुमने बिंदी लगाई है….
मै अक्सर उसे रात में चाँद समझ के देख लेता हूँ…
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
एक पुरानी तस्वीर जिसमे तुमने बिंदी लगाई है….
मै अक्सर उसे रात में चाँद समझ के देख लेता हूँ…
बुरा शख्स भी भला लगता हैं,,,,
इश्क शायद इसी को कहते हैं….
बुरे दिन के सबक ने ये कहा था
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मुझे रख लो जरूरी वाकया हूँ|
चुप चुप सा है वो…………
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बहुत कुछ कहना होगा……शायद उसे
बिन धागे की सुई सी है ये ज़िंदगी….. सिलती कुछ नहीं, बस
चुभती जा रही है.
मैं कौन था पहले कोई पहचानता न था..,
तुम क्या मिले,ज़माने में मशहूर हो गया ।
इश्क़ बुझ चुका है ।
क्यूंकि हम ज़ल चुके हैं ।।
आरज़ू थी तुम्हारी तलब बनने की !!
मलाल ये कि तुम्हारी लत लग गयी !!
तुम्हारे होते हुए भी हम तनहा है,
इससे बढ़कर क्या सबूत होगा तुम्हारी बेरुखी का !!
सादगी हो लफ़्ज़ों में…तो यक़ीन मानिये…
इज़्ज़त बेपनाह और दोस्त बेमिसाल मिल जाते हैं….