सामने आए मेरे

सामने आए मेरे, देखा मुझे , बात भी की
मुस्कुराये भी, पुरानी किसी पहचान की ख़ातिर

कल का अख़बार था, बस देख लिया, रख भी दिया

जब उसने मुझसे

जब उसने मुझसे कहा तुम्हारे दोस्त अच्छे नहीं।।।तब हम थोडा मुस्कुराये ओर कहा के, पगली तेरी इतनी तो “औकात” नहीं की तु मेरे दोस्तों की “औकात” बता सके।।।दिल तुझे दीया हैं लेकिन “जान” आज भी “दोस्तो” के लिए ही है।।।।।

मजबूरियाँ पे न हँसिये

किसी की मजबूरियाँ पे न हँसिये,
कोई मजबूरियाँ ख़रीद कर नहीं लाता…

डरिये वक़्त की मार से,
बुरा वक़्त किसीको बताकर नही आता…

अकल कितनी भी तेज ह़ो,
नसीब के बिना नही जित सकती..

बिरबल अकलमंद होने के बावजूद,
कभी बादशाह नही बन सका !!!

हमदर्द नहीं होता

इस दुनिया मे कोई किसी का
हमदर्द नहीं होता,

लाश को शमशान में रखकर अपने लोग ही पुछ्ते हैं।

“और कितना वक़्त लगेगा”…

अब भी अंदाज़ मेरे

मत देखो, ऐसी नज़रों से, मुझको अय! हमराज़ मेरे .
मेरा शरमाना, ज़ाहिर कर देता है सब राज़ मेरे.

कितनी बार मशक्क़त की, पर सीधी माँग नहीं निकली.
लगता है कल रूठे साजन, अब भी हैं नाराज़ मेरे.

बरसों पहले, डरते – डरते ,बोसा एक चुराया था.
आज तलक कहती हैं के ‘जानम हैं धोखेबाज़ मेरे’.

आज मेरे अंजाम पे कुछ आँखों से पानी बरसेगा,
इन आँखों ने देखे थे, कुछ जोशीले आग़ाज़ मेरे .

तख़्त ओ ताज गया ,मेरी जागीर गयी,दस्तार गयी.
शाहाना क्यों लगते हैं, उनको अब भी अंदाज़ मेरे