घर अपना बना लेते हैं, जो दिल में मेरे……
मुझसे वो परिंदे ,कभी उड़ाये नहीं जाते
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
घर अपना बना लेते हैं, जो दिल में मेरे……
मुझसे वो परिंदे ,कभी उड़ाये नहीं जाते
न हाल पूछा
न खैरियत पूछी
आज भी उसने
हैसियत पूछी…
हाँ…
अब कम
लिखता हूँ….
नुमाइश गम की हो या जख्म की, अच्छी नहीं होती…
वैसे ही
दिन,वैसी ही रातें,वही रोज़ का फ़साना लगता है…
अभी चार दिन नहीं
गुजरे,साल अभी से पुराना लगता है…
ऐ इश्क मै सुना था कि तू अन्धा है ..
फ़िर रास्ता मेरे दिल का बताया किसने
एक शायर के घर चोरी हुई,
कोई अल्फ़ाज़ चुरा के ले गया….
MOHABBAT Rooh Ka Zewar
Pehen Le Jo Nikhar Jaaye,
Wafa Bhi Ho Agar Shaamil
To Bikhra DIL Sanwar Jaaye
Main Chahta Hoon, Tujhe Younhi Umar Bhar
Dekhoon
Koi Talab Na Ho Dil Mein, Teri Talab K Siwa…!!!
Har Shakhs Hota Hai
Kisi Na Kisi
Hunar Ka Sikandar ..
Magar Kambakhat
Ye Haalaat
Wafa Nahi Karte
Ruk gayi aaj ye kahkar kalam meri,
ehsaas kimti hai,
zara kam kharch karo..