जो मीठा नहीं बोल पाया
यकीन मानिए~
मीठा सुनना उसकी
किस्मत में नहीं.
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
जो मीठा नहीं बोल पाया
यकीन मानिए~
मीठा सुनना उसकी
किस्मत में नहीं.
बेर कैसे होते है शबरी से पूछो।
राम से पूछोगे तो मीठा ही बोलेंगे॥
निकल आए इधर जनाब कहाँ
रात के वक़्त आफ़ताब कहाँ
मेरी आँखों में किसी के आँसु कहाँ
वरना इन पत्थरों में अब कहाँ
सब खिले हैं किसी की आरिज़ पर
इस बरस बाग़ में गुलाब कहाँ
मेरे होठों पे तेरी खुश्बू है
छु सकेगी इन्हें शराब कहाँ
सर्द रातें बढ़ा देती हैं सूखे पत्तों की कीमत….
वक़्त वक़्त की बात है…
वक़्त सबका आता है…!
जब हो थोड़ी फुरसत, तो अपने मन की बात हमसे कह लेना…….
बहुत खामोश रिश्ते…. कभी जिंदा नहीं रहते…!!
उसकी जरूरत, उसका इंतजार और अकेलापन,
थक कर मुस्कुरा देता हूँ, मैं जब रो नहीं पाता…!!!
ये मोहब्बत भी आग जैसी है .. लग जाये तो बुझती
नही.. और बुझ जाये तो जलन होती है!
जिसको भी देखा रोते हुए ही देखा,
मुझे तो मोहब्बत रूमाल बनाने वाले की साजिश लगती है…
वो रात दर्द और सितम की रात होगी,
जिस रात रुखसत उनकी बारात होगी,
उठ जाता हु मैं ये सोचकर नींद से अक्सर,
के एक गैर की बाहों में मेरी सारी कायनात होगी|
क्या बात करे इस दुनिया की हर शख्स के अपने अफसाने हे,
जो सामने हे उसे लोग बुरा कहते हे,
जिसको देखा नहीं उसे सब खुदा कहते हे..!!!