इतना भी गुमान न कर आपनी जीत पर ” ऐ बेखबर ”
शहर में तेरे जीत से ज्यादा चर्चे तो मेरी हार के हैं।….।
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
इतना भी गुमान न कर आपनी जीत पर ” ऐ बेखबर ”
शहर में तेरे जीत से ज्यादा चर्चे तो मेरी हार के हैं।….।
मेरी हिम्मत को परखने की गुस्ताखी न करना,
पहले भी कई तूफानों का रुख मोड़ चुका हु
सफलता की उचाईओ पर चढ़ कर,
अहंकार कभी भी मत करना।।
क्योंकि ढलान हमेशा,
ऊपर से ही शुरू होता है।।।
डर मुझे भी लगा फांसला देख कर,
पर मैं बढ़ता गया रास्ता देख कर,
खुद ब खुद मेरे नज़दीक आती गई
मेरी मंज़िल मेरा हौंसला देख कर.
क्या ऐसा भूकंप नहीं आ सकता,
जिसमें अहम टूट जाए,
जिसमें मतभेद के किले ढह जाएं,
जिसमें घमंड चूर चूर हो जाए,
जिसमें गुस्से के पहाड़ पिघल जाए,
जिसमे नफरत हमेशा के लिए दफ़न हो जाये,
यदि ऐसा भूकंप आए तो
…. दिल से स्वागत है
ये जो ” इनको ” इतना ग़ुरूर है…
सब मेरी ” तारीफों ” का क़ुसूर है…..
आज फिर की थी, मैने मोहब्बत से तौबा…
आज फिर तेरी तस्वीर देखकर नीयत बदल गयी….
तजुर्बे उम्र से नहीं…. हालातों से होते हैं
महफिल भी सजी है सनम भी…
हम कन्फ्युज हैं… इश्क करें या शायरी।
निकाल के जिस्म से जो
अपनी जान देता है…
बङा ही मजबूत है वो पिता जो कन्या दान देता
है !!