तुम जो ये ख्वाब साथ लिए सोते हो,यही तो इश्क़ है|
Category: Sad Bewafa Shayri
इनसान बनने की फुर्सत
इनसान बनने की फुर्सत ही नहीं मिलती,
आदमी मसरूफ है इतना, ख़ुदा बनने में…!
रात ढलने लगी है
रात ढलने लगी है बदन थकान से चूर है….
ऐ ख़याल-ए-यार तरस खा सोने दे मुझे…..
तेरा इश्क जैसे
तेरा इश्क जैसे प्याज था शायद।
परते खुलती गयी आँसू निकलते गये॥
कैसी उम्र में
कैसी उम्र में आ कर मिले हों हमसे,
जब हाथों की मेंहंदी बालों में लग रही है।
कुछ अजीब सा
कुछ अजीब सा रिश्ता है उसके और मेरे दरमियां;
ना नफरत की वजह मिल रही है ना मोहब्बत का सिला..!
मेरे टूटने का
मेरे टूटने का जिम्मेदार मेरा जौहरी ही है,
उसी की ये जिद थी अभी और तराशा जाय…
जो वक़्त पे
जो वक़्त पे रिप्लाई नही देते,
वो वक़्त पे साथ क्या देंगे।।
काश तू आये
काश तू आये और गले लगकर कहे,
बस बहुत हो गया अब नही रहा जाता तेरे बिना।।
लिखते है सदा
लिखते है सदा उन्हीं के लिए,
जिन्होंने हमे कभी पढ़ा ही नहीँ।।