खोऐ हुए थे सभी अपनी जीन्दगी कि उलझनो मे !
जरा सी जमीन क्या हिली लोगो को खुदा याद आ गया !!!!!!!!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
खोऐ हुए थे सभी अपनी जीन्दगी कि उलझनो मे !
जरा सी जमीन क्या हिली लोगो को खुदा याद आ गया !!!!!!!!
अगर आप फूलों को पाना चाहते हैं तो
आप को कांटों की चुभन तो सहनी ही
पड़ेगी..
कोई मज़बूत सी ज़ंजीर भेजो तुम्हारी
याद पागल हो गई है.
जिंदगी का खेल शतरंज से भी मज़ेदार होता है,
लोग हारते भी है तो अपनी ही रानी से …
जो हमारा प्यार है,उन्हें किसी और से प्यार है,
बस हार गऐ हम ये जानकर की जिससे उन्हें प्यार है वो हमारा यार है…
अंदर के नशे से महकते हैं लोग
बाहर के नशे से बहकते हैं लोग …और जो किसी नशे में बहकता नहीं वह बुद्ध कहलाता है ।।
तारीफे समझ नही आती है उन्हें ।
ऐ-खुदा, मेरे प्यार को भी मोहब्बत में थोडा हुन्नर दे ।।
कहीं एक मासूम सा अरमान टूटा होगा
फिर मिट्टी का कच्चा मकान टूटा होगा
अमीरों के लिए बेशक तमाशा हो जलजला
गरीब के सर पे तो आसमान टूटा होगा
उलझे हुए है आजकल अपनी उलझनों में… तुम ये ना समझना कि
तुम्हें चाहा था
बस दो दिन के लिए
कुछ अलग करना है तो जरा भीड़ से हटकर चलो..
भीड़ साहस तो देती है, लेकिन पहचान छीन लेती है….