नींद से क्या शिकवा जो आती नहीं,
कसूर तो उस चेहरे का है जो सोने नहीं देता !!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
नींद से क्या शिकवा जो आती नहीं,
कसूर तो उस चेहरे का है जो सोने नहीं देता !!
तेरा बिछड़ना है हौसला मेरे लिए..
ताउम्र याद दिलाएगा कुछ कमी थी मुझमे |
कई बार मैंने
देखा है खुद को
तुम में
जिसे तुमने पुकारा नहीं
जिद्द में
वो मैं था
है ऐतबार जिसे
अब भी
मुझ में
वो इंतज़ार तुम हो..
न पूछा कर औरो से हाल मेरा..ए बेवफा ..
इतनी ही फ़िक्र होती तो ..तू साथ होती.. तेरी यादे नहीं…
इस क़दर बर्फ गिरी सदमो की,
जम गया सब्र मेरी आँखों में…
डूबी हैं मेरी उँगलियाँ मेरे ही खून में..
ये कांच के टुकड़ों पे भरोसे की सजा है..
अजीब है ये नींदों का आना भी..
कभी मिन्नतें..कभी जबरदस्तियां..!!
जो बनाई है तिरे काजल से
तस्वीरे-मुहब्बत,अभी तो प्यार के रंग से
सजाया ही कहाँ है..!
समंदर भी बड़ा मतलबी निकला,
जान लेकर लहरों से कहता है,लाश को किनारे लगा दो।
थोड़ी सी तमीज़ मुझे भी फ़रमा मेरे मौला,
रंज़िश के इस दौर मे और भी बेख़ौफ़ होता जा रहा हूँ |