दो कदम चलकर

दो कदम चलकर अक्सर हम रुक जाया करते है ,
क्यों इंतजार रहता है उनका,
जो राह में छोड़कर चले जाया करते है|

न कोई फिकर

न कोई फिकर, न कोई चाह
हम तो बड़े बेपरवाह है
उम्र फकीराना गुजरी है
हम तो ऐसे शहंसाह है|