दो लफ्ज़ उनको सुनाने के लिए,
हज़ारों लफ्ज़ लिखे ज़माने के लिए
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
दो लफ्ज़ उनको सुनाने के लिए,
हज़ारों लफ्ज़ लिखे ज़माने के लिए
हमारे दिल में भी झांको अगर मिले फुरसत…
हम अपने चेहरे से इतने
नज़र नहीं आते…
रात गुज़र जाती है तेरी यादों में अक्सर,सुबह मसरूफ हो जाते हैं फिर से तुझे भुलाने में!
तड़प रही है
सांसे तुझे महसूस करने को…फिजा में खुशबू
बनकर बिखर जाओ
तो कुछ बात बने |
तूने जिंदगी का नाम तो सुना होगा ..
.
मैने अक्सर तुम्हे इसी नाम से पुकारा है|
मैं उसके लिए अहम था
शायद यही मेरा सबसे बड़ा वहम था|
जब से मैं ने गुफ्तगू मॆ झूठ शामिल कर लिया,
मेरी बातो का बुरा अब कोई नही मानता…..
दिल-ए-मासूम पे क़ातिलाना हमले,
अपनी आँखों से कहो ज़रा तमीज़ से रहें.. !
अऩजान अपने आप से वह शख्स रह गया,
जिसने उम्र गुजार दी औरों की फिक्र में…!!!
जब से छूटा है गांव वो मिट्टी की खुशबू नहीं
मिलती, इस भीड़ भरे शहर में अपनों की सी
सूरत नहीं मिलती।