समझा जिसे सिर्फ इक दिल का सौदा,
वो इश्क़ तो पूरा कारोबार निकला ।।
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
समझा जिसे सिर्फ इक दिल का सौदा,
वो इश्क़ तो पूरा कारोबार निकला ।।
लफ़्ज़ों पे वज़न रखने से नहीं झुकते मोहब्बत के पलड़े साहिब
हलके से इशारे पे ही ज़िंदगियां क़ुर्बान हो जाती हैं…
तेरे हुस्न पे तारीफों भरी किताब लिख देता,
काश…
तेरी वफ़ा तेरे हुस्न के बराबर होती ।
डूबे कितने रब जाने,,
पानी कितना दरिया जाने|
अपनी इन नशीली आंखो को जरा झुका दीजीए मोहतरमा..
मेरे मजहब मे नशा हराम है..
तुमने देखी है वो पेशानी वो रूखसार, वो होंठ,
जिन्दगी जिनके तसव्वर में लुंटा दी मैंने।
सजा देना हमें भी आता है…
पर तू तकलीफ से गुजरे यह हमें गवारा नहीं…!!!
बहुत आसान है पहचान इसकी….,
अगर दुखता नहीं है तो “दिल” नहीं है….।
हमने भी मुआवजे की अर्जी डाली है दोस्तों,
उनकी यादों की बारिश ने
काफ़ी नुकसान पहुँचाया है !!…
कोई तो है जिसकी खातिर….
उदास रहने का शौक-सा है……!!