जब से पड़ा है तेरी निगाहों से वास्ता,
नींद नहीं आती मुझे सितारों से पूँछ लो!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
जब से पड़ा है तेरी निगाहों से वास्ता,
नींद नहीं आती मुझे सितारों से पूँछ लो!
फासलों से अगर.. मुस्कुराहट लौट आये तुम्हारी…
तो तुम्हे हक़ है.. कि तुम… दूरियां बना लो मुझसे….
मेरी नाराज़गी तुमसे नहीं, तुम्हारे वक्त से है|
सूखने लगी है….स्याही शायद,ज़ख़्मों की दवात में… वरना वो भी दिन थे,दर्द रिसता था धीरे-धीरे !
और फिर शाम हुई… रंग उड़े… जाम बने
और फिर ज़िक्र छिड़ा… थोड़े से ग़मनाक हुए
सुनो मैं बहुत खुश हूँ..
कैसा लगा मेरा झूठ आपको…
दुसरो की छांव में खड़े रहकर,
हम अपनी परछाई खो देते है,
खुद की परछाई के लिये तो,
हमे धूप में खड़ा होना पड़ता है..
जिन्हें अपनी गाड़ियां छांव में लगाने का शोक है,
उन्हें पेड़ पौधे लगाने का भी शौक होना चाहिए।
कागज़ों पे लिख कर ज़ाया कर दूं मै वो शख़्स नही वो शायर हुँ जिसे दिलों पे लिखने का हुनर आता है|
उसका चेहरा जो मेरी आँखों में आबाद हो गया
मैने उसे इतना पढ़ा कि मुझे याद हो गया
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