तेरे ही ख्याल पर खत्म हो गया ये साल..
तेरी ही ख्वाहिश से शुरू, हुआ नया साल….
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
तेरे ही ख्याल पर खत्म हो गया ये साल..
तेरी ही ख्वाहिश से शुरू, हुआ नया साल….
हादसोँ के गवाह हम भी हैँ,
अपने दिल से तबाह हम भी हैँ,
जुर्म के बिना सजा ए मौत मिली,
ऐसे ही एक बेगुनाह हम भी हैँ..
तुम अगर चाहो तो पूछ लिया करो खैरियत हमारी..
कुछ हक़ दिए नही जाते ले लिए जाते है …
जहाँ जहाँ लिखी मेरे किरदार में ज़िल्लतें…
वहीँ वहीँ लिए फिरती है ये तक़दीर मुझे ।
मुमकिन है निकल आये यहाँ कोई मुसाफ़िर
रस्ते में लगाते चलो दो चार पेड़ और पेड़ |
तज़ुर्बा कहता हैं के मोहब्बत से किनारा कर लूँ…
और दिल कहता हैं कि ये तज़ुर्बा दुबारा कर लूँ…!!
इश्क का होना भी लाजमी है शायरी के लिये…
अगर कलम लिखती तो दफ्तर का बाबू भी ग़ालिब होता..!!
सितारों के आगे जहां और भी हैं
अभी इश्क के इम्तेहाँ और भी हैं
तू शाहीन है परवाज़ है तेरा काम
तेरे सामने आसमाँ और भी हैं
क़नाअत न कर आलम-ए-रंग-ओ-बू पर
चमन और भी, आशियाँ और भी हैं
तहि जिंदगी से नहीं ये फिज़ाएं
यहाँ सैकड़ों कारवाँ और भी हैं|
सवाल जहर का नहीं था, वो तो मैं पी
गया….
तकलीफ लोगों को तब हुई, जब मैं जी
गया….
कहा से मंज़र समेट ले नज़र कहा से उधार मांगे
रिवायतों को न मौत आये तो जिंदगी इंतिशार मांगे|