नाराज होकर छोड़कर जाने वाला वापास आ सकता है
लेकिन मुस्करा कर छोड़कर जाने वाला वापस नही आता
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
नाराज होकर छोड़कर जाने वाला वापास आ सकता है
लेकिन मुस्करा कर छोड़कर जाने वाला वापस नही आता
काश मोहब्बत के भी इलैक्शन होते
हम भी कुछ खर्चा करके जीत लेते उसको…
दिल दे तो इस मिजाज का परवरदिगार दे, जो रंज की घड़ी भी खुशी से गुजार दे।
हर घड़ी ख़ुद से उलझना है मुक़द्दर मेरा
मैं ही कश्ती हूँ मुझी में है समंदर मेरा
एक से हो गए मौसमों के चेहरे सारे
मेरी आँखों से कहीं खो गया मंज़र मेरा
किससे पूछूँ कि कहाँ गुम हूँ बरसों से
हर जगह ढूँढता फिरता है मुझे घर मेरा
मुद्दतें बीत गईं इक ख़्वाब सुहाना देखे
जागता रहता है हर नींद में बिस्तर मेरा
आईना देखके निकला था मैं घर से बाहर
आज तक हाथ में महफ़ूज़ है पत्थर मेरा|
आज एक दुश्मन ने धीरे से कान में कहा,
यार इतना मत मुस्कुराया कर बहोत जलन होती है !!
हम आईना हैं, …….
आईना ही रहेंगे,…..
फ़िक्र वो करें, …….
जिनकी शक्ल में कुछ ……
और दिल में कुछ और है…
रोज़ आ जाते हो बिना इत्तेला दिए ख्वाबों में….
कोई देख लेगा तो हम क्या जवाब देंगे……
सख़्त हाथों से भी….
छूट जाती हैं कभी उंगलियाँ….
रिश्ते ज़ोर से नहीं….
तमीज़ से थामे जाते हैं…
एक हँसती हुई परेशानी, वाह क्या जिन्दगी हमारी है।
ख्वाब बोये थे, और अकेलापन काटा है,
इस मोहब्बत में ,
“यारों” बहुत घाटा है..