दुश्मनों के साथ मेरे दोस्त भी आज़ाद है,
देखना है , फेंकता है मुझ पर पहला तीर कौन……
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
दुश्मनों के साथ मेरे दोस्त भी आज़ाद है,
देखना है , फेंकता है मुझ पर पहला तीर कौन……
मंज़ूर नहीं किसी को ख़ाक में मिलना,
आंसू भी लरज़ता हुआ आँख से गिरता है…..
वो जो अँधेरो में भी नज़र आए
ऐसा साया बनो किसी का तुम
ऐ काश ज़िन्दगी भी किसी अदालत सी होती,,,
सज़ा-ऐ-मौत तो देती पर आख़िरी ख्वाइश पूछकर…
आज उसने अपने हाथ से पिलायी है यारो,,,
लगता है आज नशा भी नशे मे है…
वो इश्क ही क्या,
जो सलामत छोड़ दे…
इस दुनिया में यूँ तो कसमें बहोत लोग खाते है,
सिर्फ कुछ लोग ही दिल-ओ-जान से निभाते है !!
उसने हर नशा सामने लाकर रख दिया और कहा…
सबसे बुरी लत कौन सी है, मैंने कहा तेरे प्यार की |
कोन कहता बीना रिश्ते के बात नहीं होती
यहाँ देखो कोई रिश्ता ना कोई पहचान
फिर भी है हम सब एक दुसरे से बात करते है
हम चुप है तो हमें चुप ही रहने दो..!!
हम जिद
पर आ गए तो जमाने से छीन लेंगे तुम्हें….!!!!