साहिब इज्जत हो तो ईश्क जरा सोच कर करना…!!
ये ईश्क अक्सर मुकाम ए जिल्लत पे ले जाता है…!!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
साहिब इज्जत हो तो ईश्क जरा सोच कर करना…!!
ये ईश्क अक्सर मुकाम ए जिल्लत पे ले जाता है…!!
जितनी मुहब्बत मिली सब
बाँट दी दुनियाँ बालो को
जब मैने झोली फैलाई तो
दर्द के सिवा कुछ न मिला
चार दिन बीत गए, लेकिन एक बात समझ में आ गयी कि बिना पैसों के भी जिया जा सकता है।।
फिर कोई दुख मिलेगा
तेयार रह..
ऐ..दिल…
कुछ लोग पेश आ रहे हैं
बहुत प्यार से !!!!
मैं पेड़ हूं हर रोज़ गिरते हैं पत्ते मेरी शाखो से,,
फिर भी बारिश से बदलते नहीं रिश्ते मेरे
रोज़ सोचता हूँ की भूल जाऊं तुम्हें,
रोज़ ये बात भूल जाता हूँ ………..।
ख़ुशीयो का दौर भी आ जाएगा एक दिन, ग़म भी तो मिल गये थे तमन्ना किये बगैर ……
सितारे भी जाग रहे हो रात भी सोई नाहो!
ऐ चाँद मुझे वहाँ ले चल जहाँ उसके सिवा कोई ना हो!
आज तक उस थकान से दुख रहा है बदन
एक सफ़र किया था मैंने कुछ ख़्वाहिशों के साथ|
कुछ तहखानों में चाह कर भी अँधेरा भरा नहीं जा सकता…
यकीन न आये तो चले आओ मुझमें…
मेरे शब्दों का पीछा करते हुए …
मध्यम आंच में चाँद सुलगा रखा है…