आदत हुई भी तो उसकी हुई..
जिससे तमाम उम्र हम परहेज करते रहे..!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
आदत हुई भी तो उसकी हुई..
जिससे तमाम उम्र हम परहेज करते रहे..!
चलते चलते थक कर पूँछा पाँव के ज़ख़्मी छालों ने….
बस्ती कितनी दूर बना ली दिल में बसने वालों ने….
कामयाब लोग अपने फैसले से दुनिया बदल देते है, और नाकामयाब लोग दुनिया के डर से अपने फैसले बदल देते है।
यूँ ना खींच मुझे अपनी तरफ बेबस कर के,
ऐसा ना हो के खुद से भी बिछड़ जाऊं और तू भी ना मिले .!
अगर दिल टूटे तो मेरे पास चले आना !
मुझे बिखरे हुये लोगो से मोहब्बत बहुत है ….
अजीब तरह से गुजर रही है जिंदगी,
सोचा कुछ, किया कुछ, हुआ कुछ और मिला कुछ !!
लगाकर आग दिल में अब तुम चले हो कहाँ….
अभी तो राख उड़ने दो तमाशा और भी होगा |
सने ऐसी चाल चली के मेरी मात यकीनी थी,
फिर अपनी अपनी किस्मत थी,
हारी मैं, पछताया वो…..!!!!!!
जिस से मोहब्बत की जाए
उस से मुक़ाबला नही किया जाता….
आज फिर देखा है मुझे किसी ने मोहोब्बत भरी निगाहों से,
और एक बार फिर तेरी ख़ातिर मैंने अपनी निगाहें झुका ली