पूछ लेते वो बस मिजाज मेरा
कितना आसान था इलाज मेरा |
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
पूछ लेते वो बस मिजाज मेरा
कितना आसान था इलाज मेरा |
तलाश तो सिर्फ सुकून की होती है..
नाम रिश्तों का चाहे कुछ भी रख लो..
आओ मिलकर ढूंढ ले वजह, फिर से एक हो जाने की..
यूँ एक-दूसरे से बिछड़कर, ना तुम अच्छे लगते हो और ना हम..
पता नही होश मे हूँ या बेहोश हूँ मैं..
पर बहूत सोच समझकर खामोश हूँ मैं..
नींदें छीन रखी है तेरी यादों ने .
गिला तेरी दुरी से करें या अपनी चाहत से..
दीवानगी के लिए तेरी गली मे आते हैं..
वरना.. आवारगी के लिए सारा शहर पड़ा है..
तोड़ दो ना वो कसम जो खाई है,
कभी कभी याद कर लेने में क्या बुराई है..
दर्द से मेरा दामन भर दे
फिर चाहे दीवाना कर दे|
अभी तो साथ चलना है समंदरों की लहरों मॆं
. . . किनारे पर ही देखेंगे… किनारा कौन करता है?
ना ढूंढ मेरा किरदार दुनियाँ की भीड़ में…
वफादार तो हमेशा तन्हां ही मिलते है|