कहाँ ये जानते थे

कहाँ ये जानते थे
कि
रस्में उल्फ़त कभी यूँ भी निभानी होगी,
तुम सामने भी होंगे और…
हमें नज़रे झुकानी होगी

होता है अगर

होता है अगर तो होने दो, मेरे क़त्ल का सौदा,मालूम तो हो, बाज़ार में क्या कीमत* है मेरी..