“हर खुशी दिल के करीब
नहीं होती,
ज़िंदगी ग़मों से दूर नहीं होती,
इस दोस्ती को संभाल कर
रखना,
क्यूंकि दोस्ती हर किसी को नसीब नहीं होती
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
“हर खुशी दिल के करीब
नहीं होती,
ज़िंदगी ग़मों से दूर नहीं होती,
इस दोस्ती को संभाल कर
रखना,
क्यूंकि दोस्ती हर किसी को नसीब नहीं होती
वो बोले मोहब्बत का सागर बहुत गहरा है साकी
हम बोले डूबने वाले कभी परवाह नहीं किया करते..
मैंने आंसू को समझाया,
भरी महफ़िल में ना आया
करो,
आंसू बोला, तुमको भरी महफ़िल में तन्हा पाते है,
इसीलिए तो
चुपके से चले आते है
अब तो कर दे इजहार तू
मुझसे प्यार का…..
देख अब तो मोहब्बत का महीना भी
आ गया…
जब वो अपने हांथो की
लकीरों में मेरा नाम ढूंढ कर थक गया…
सर झुकाकर बोला, “लकीरें
झूठ बोलती है” तुम सिर्फ मेरी हो.
इतनी पीता हूँ कि मदहोश रहता हूँ;
सब कुछ समझता हूँ पर खामोश रहता हूँ;
जो लोग करते हैं मुझे
गिराने की कोशिश;
मैं अक्सर उन्ही के साथ रहता हूँ।
मेरे पास गोपियाँ तो बहुत है,
पर मेरा मन मेरी राधा के
सिवा कहीं लगता ही नही
ये दिल अजीब है अक्सर कमाल करता है
नहीं जवाब जिनका वो सवाल करता है ।
धरे रह गए वादे इश्क केउसने लगा लिया सिन्दुर मांग में |
हद से बढ़
जाये ताल्लुक तो ग़म मिलते है,
हम इसी वास्ते अब हर शख्स से कम
मिलते है !!