खुशी दिल के करीब

“हर खुशी दिल के करीब

नहीं होती,
ज़िंदगी ग़मों से दूर नहीं होती,
इस दोस्ती को संभाल कर

रखना,
क्यूंकि दोस्ती हर किसी को नसीब नहीं होती

मैंने आंसू को समझाया

मैंने आंसू को समझाया,
भरी महफ़िल में ना आया

करो,
आंसू बोला, तुमको भरी महफ़िल में तन्हा पाते है,
इसीलिए तो

चुपके से चले आते है

अपने हांथो की

जब वो अपने हांथो की

लकीरों में मेरा नाम ढूंढ कर थक गया…
सर झुकाकर बोला, “लकीरें

झूठ बोलती है” तुम सिर्फ मेरी हो.

मदहोश रहता हूँ

इतनी पीता हूँ कि मदहोश रहता हूँ;
सब कुछ समझता हूँ पर खामोश रहता हूँ;
जो लोग करते हैं मुझे
गिराने की कोशिश;
मैं अक्सर उन्ही के साथ रहता हूँ।