तमाम
गिले शिकवे भुलाकर सोया करो…यारों….सुना है… मौत किसी
को….मुलाक़ात का मौका नही देती
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
तमाम
गिले शिकवे भुलाकर सोया करो…यारों….सुना है… मौत किसी
को….मुलाक़ात का मौका नही देती
हारे हुए रिश्तों की अक्सर यही
हालत रह जाती हैं
लोगों की मोहब्बत रहती नहीं पर आदत रह जाती
हैं।.
तनहाई का सौदा वैसे इतना भी घाटे में नहीं चलता
बेचैनी नहीं
बसती विराने में, बस राहत रह जाती हैं।.
बदलते हुए हालातों से
समझौता तो हो जाता हैं
परकोई चाहें या ना चाहें, चुपके से चाहत रह
जाती हैं।.
लेन-देन के मामलों में तो यादें लौटाना नामुमकिन हैं
अपनी
वहाँ तो किसी की यहाँ ये अमानत रह जाती हैं।
कभी न ख़त्म किया रौशनी का सफ़र मैंने ,
…
चिराग बुझ गए तो दिल को जलाया मैंने ।
किसी ने
मुझसे पूछा के तुम उसे पाने के लिए किस हद तक जा सकते
हो……?
मैंने मुस्कुरा के कहा अगर हदे पार करनी होती,
तो उसे
कब का पा लिया होता..
भरे हुए गुल्ल्क का शोर..
छीन लिया है नोंटों ने…
भुला के
मुझको, अगर आप भी हो सलामत,…
तो भुला के मुझको, सम्भालना
मुझे भी आता हैं !
बेबसी किसे कहते है ये पूछो उस
परिंदे से…,.
जिसका पिंजरा रखा भी तो खुले आसमान के तले
….!!!
जहाँ हमारी क़दर ना हो वहाँ रहना फिज़ूल है…
चाहे किसी का घर हो चाहे किसी का दिल…
उसकी चाहत का मैं ,और क्या सबूत दूँ ….
उसने लगाई भी
बिंदी तो मेरी आँखों में देख कर…!!!
उजालो में जिस्म
चमकते है अँधेरों में रूहें……….!