कोई तालिम नहीं सीखी हमने, इस दुनियां से..।
हम आज भी सच बोलते हैं, मासूम बच्चों की तरह..।।
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
कोई तालिम नहीं सीखी हमने, इस दुनियां से..।
हम आज भी सच बोलते हैं, मासूम बच्चों की तरह..।।
उठो तो ऐसे उठो, फक्र हो बुलंदी को भी..
झुको तो ऐसे झुको, बंदगी भी नाज़ करे”..!!
भुख लोरी गा गा कर,
.
जमीर को सुलाये रखती हैं…
सिलसिला खत्म क्यों करना जारी रहने दो,
इश्क़ में बाक़ी थोड़ी बहुत उधारी रहने दो…
वफा की बूंद में एक हरारत इश्क की थी…..
मुफलिसी के दिन थे….
हाँ, मुहब्बत बेच दी अपनी….
सांसों में लोबान जलाना आखिर क्यों
पल पल तेरी याद का आना आखिर क्यों…….
कितने फिज़ूल हैं ना हम भी,
देख तुझे याद तक नहीं आते..!!!
वो वक़्त का जहाज़ था करता लिहाज़ क्या
मैं दोस्तों से हाथ मिलाने में रह गया |
फिर वार हुआ दिल की दिवारो पर…
फिर ऐसे जख्म मिलें है कि हम मरहम ना ढुंढ पाए…
उड़ना…. बेख़ौफ़
कहाँ आसान था….
मन तभी चिड़िया हुआ
जब तू आसमान था ….!