खुद पर भरोसा

खुद पर भरोसा करने का हुनर सीख लो,
सहारे कितने भी सच्चे हो एक दिन साथ छोड़ ही जाते हैं..

कोई तो लिखता होगा

कोई तो लिखता होगा इन कागज़ के ज़र्रों और इन पत्थरों का नसीब,

वरना यह मुमकिन नहीं कि कोई पत्थर ठोकर खाए,आैर कोई भगवान हो जाए….

कोई कागज़ रद्दी बन जाए तो कोई कागज़ गीता या कुरान हो जाए…!

मौसम फिर से

आज ये

मौसम फिर से करवा रहा है मुझसे शायरी…..!!
वरना इस दिल के

जज़्बातों को दबे तो ज़माना हो गया…..!!

बुझने लगी हो

बुझने लगी हो आंखे तेरी, चाहे थमती हो रफ्तार
उखड़ रही हो सांसे तेरी, दिल करता हो चित्कार
दोष विधाता को ना देना, मन मे रखना तू ये आस
“रण विजयी” बनता वही, जिसके पास हो “आत्मविश्वास”