बिन तुम्हारे कभी नही आयी
क्या मेरी नींद भी तुम्हारी है|
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
बिन तुम्हारे कभी नही आयी
क्या मेरी नींद भी तुम्हारी है|
दिल रोता है चेहरा हँसता रहता है कैसा कैसा फ़र्ज़ निभाना होता है..
जो गुज़ारी न जा सकी हम से हम ने वो ज़िंदगी गुज़ारी है
ज़िंदगी जिनसे हो ख़फ़ा, उनसे रूठ जाती है मौत भी शायद
उसे भरम है अभी के वो नादान जीतेगा।
जो सच्चा होगा वही मेरी जान जीतेगा ।
तू डरता क्यूँ है इन झूठ के सौदागरों से ।
जंग जब भी होगी दावा है ईमान जीतेगा।।
हम मरेगें भी तो उस अंदाज से,
जिस अंदाज में लोग जीने को भी तरसते है।
आँखों में भी कुछ सपने सो जाते हैं
सपनों में भी मुश्किल जब उनका आना लगता है
अपनी हदों में रहिए कि रह जाए आबरू,
ऊपर जो देखना है तो पगड़ी सँभालिये
बिखरने के बहाने तो बहुत मिल जाएँगे …
आओ हम जुड़ने के अवसर खोजें..!
खत क्या लिखा…..
मानवता के पते पर
डाकिया ही गुजर गया
पता ढूढते ढूढते…..