किसी भी मुश्किल का अब किसको हल नहीं मिलता,
शायद अब घरसे कोई मां के पैर छूंकर नहीं निकलता….
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
किसी भी मुश्किल का अब किसको हल नहीं मिलता,
शायद अब घरसे कोई मां के पैर छूंकर नहीं निकलता….
जीतने हंगामे थे सुखी टहनियों से झड़ गये
पेड़ पर फल भी नहीं आँगन में पत्थर भी नहीं
नमक की तरह कड़वा ज्ञान देने वाला ही सच्चा मित्र होता
है, इतिहास गवाह है की आज तक कभी नमक में कीड़े नहीं पड़े !
प्यार मे ताकत हैं दुनिया को झुकाने की…
वरना क्या जरूरत थी राम को झूठे बेर खाने की…!!!
बरसो से कायम है
इश्क अपने उसुलो पे, ये कल भी तकलीफ देता था
ये आज भी तकलीफ देता है!!!
कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता
कहीं ज़मीन तो कहीं आसमान नहीं मिलता
जिसे भी देखिये वो अपने आप में गुम है
ज़ुबाँ मिली है मगर हमज़ुबाँ नहीं मिलता
बुझा सका है भला कौन वक़्त के शोले
ये ऐसी आग है जिसमे धुआँ नहीं मिलता
तेरे जहाँ में ऐसा नहीं कि प्यार न हो
जहाँ उम्मीद हो इसकी वहाँ नहीं मिलता
कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता
कहीं ज़मीन तो कहीं आसमान नहीं मिलता
आज कल…की नादानी भी सच मे बेमिसाल हे..
अंधेरा दिल?मे है और लोग दिये मन्दिरों मे जलाते हैं…
सच्चाई बस मेरी खामोशी में है….
शब्द तो में लोगो के अनुसार बदल लेता हु….
अंदाज कुछ अलग है,
मेरे सोचने का….
सब को मंजिल का शौक है
और मुझे रास्तो का…
शर्म, दहशत, झिझक, परेशानी, नाज़ से काम क्यूँ नही लेती…
…
आप, वो, जी, मगर…ये सब क्या है, तुम मेरा नाम क्यूँ नही लेतीं ।