जो हैरान हैं मेरे
सब्र पर उनसे कह दो.., जो आसूँ जमीं पर नहीं गिरते, अकसर दिल चीर
जाते है ……!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
जो हैरान हैं मेरे
सब्र पर उनसे कह दो.., जो आसूँ जमीं पर नहीं गिरते, अकसर दिल चीर
जाते है ……!
इतना तो किसी ने चाहा भी न होगा,
जितना मैने सिर्फ सोचा है……
अदा-ए-हुस्न की मासूमियत को कम कर दे..
गुनहगार नज़र को हिजाब आता हे..!”
ऐ खुदा इश्क़ में दोनों को मुकम्मल कर दे
उसे दीवाना बना दे….. मुझे पागल कर दे
मेरी गलतियां मुझसे कहो
दूसरो से
नहीं,
कियोंकि सुधार ना मुझे है उनको नही…..
…………
मुक़म्मल होने की
ख़्वाहिश में हम…!…
और भी ज़्यादा
अधूरे हो जाते हैं…!!
उमर बीत गई पर एक
जरा सी बात समझ में
नहीं आई…!!
हो जाए जिनसे मोहब्बत,वो लोग कदर
क्युँ नहीं करते…..!
गुज़र जायेगा ये दौर भी ज़रा सा इतमिनान तो रख… जब
खुशियाँ ही नही ठहरीं तो ग़म की क्या औक़ात है..
मेरे दिल की ख़ामोशी पर मत जाओ दोस्तों,
क्यूंकि राख के नीचे अक्सर आग दबी होती है!!
रोने की वजह न थी
हसनेका बहाना न था
क्यो हो गए हम इतने बडे
इससे अच्छा तो वो बचपन का
जमाना था!