ये ज़िन्दगी हमारी,कब हमारी रही,
कुछ रिश्तो में बटी ,कुछ किस्तों में|
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
ये ज़िन्दगी हमारी,कब हमारी रही,
कुछ रिश्तो में बटी ,कुछ किस्तों में|
ड़ोली चाहे अमीर के घर से उठे चाहे गरीब के,
चौखट माँ बाप की ही सूनी होती है….
जो शर्त आसमानो से लगा कर उड़े..
उन पंछियो की उड़ानो को कोन रोक सकता है..
रिशते निभाऔ ,प्यार करो दुख मत देना,
किसी को आसुंओं का तोहफा मत देना,
दिल से कोसे जिंदगी भर कोई तुम्हे,
ऐसा मौका किसी को मत देना….
ये डूबने वाले का ही होता हे कोई फन;
आँखों में किसी के भी समंदर नहीं होता!
कोई और तरीक़ा बताओ जीने का,
साँसे ले ले कर थक गया हूँ !!
कुछ दिन तो तेरी यादें वापस ले ले..
‘पगली’
मैं कई दिनों से सोया नहीं….!!
सो जाओ यारो…
जब दिन मे याद नहीं आयी तो अब क्या याद आएगी..
नफरत है तो कह देते हमसे,
सिर्फ अपनों की तारीफ कर दिल क्यों जलाते हो..!!
बेवफा लोगो को हमसे बेहतर कौन जान सकेगा….
..हम तो वो है जिन्हें किसी की
नफरत से भी प्यार था