कागज कोरा ही रहने दीजिऐ
वरना बेवजह दर्द ब्यान हो जाऐगा !
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
कागज कोरा ही रहने दीजिऐ
वरना बेवजह दर्द ब्यान हो जाऐगा !
एक आँसू कोरे काग़ज़ पर गिरा
और, अधूरा ख़त मुक्कमल हो गया !!!
कुछ,अधूरी बातें..पूरी करनी है,
तुम ,आज फिर मेरे ख्वाब में आना…
बहुत अलग सा है मेरे दिल का हाल;
एक तेरी ख़ामोशी और मेरे लाखों सवाल!
अगर कुछ भी नहीं है हमारे दरमियान,
तो ये लंबी ख़ामोशी क्यों है ??
बड़ा मुश्किल है..जज़्बातो को पन्नो पर उतारना..
हर दर्द महसूस करना पड़ता है..लिखने से पहले..
करलो एक बार याद मुझको….
हिचकियाँ आए भी ज़माना हो गया
दिल की कीमत तो मुहब्बत के सिवा कुछ ना थी…
जितने भी मिले सूरत के खरीद्दार मिले…
दो कदम चलकर अक्सर हम रुक जाया करते है ,
क्यों इंतजार रहता है उनका,
जो राह में छोड़कर चले जाया करते है|
खुद पुकारेगी मंजिल तो ठहर जाऊंगा….!!
वरना मुसाफिर खुद्दार हूं यूँ ही गुजर जाऊंगा….!!