शौक़ से छोड़ के जाएँ ये चमन वो पंछी।
जिनको लगता है ये अपना वतन ठीक नहीं।
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
शौक़ से छोड़ के जाएँ ये चमन वो पंछी।
जिनको लगता है ये अपना वतन ठीक नहीं।
वज़ीरों से सिफारिश की तमन्ना हम नही रखते,,
हमे मालूम है ज़र्रे को तारा कौन करता है।
हमारी प्यास का अंदाज भी अलग है कभी समंदर को ठुकरा देते है तो कभी आंसू तक पी जाते है…!!
किन लफ्जों में लिखूँ मैं अपने इन्तजार को तुम्हे…
बेजुबां हैं इश्क़ मेरा और
ढूँढता हैं खामोशी से तुझे..!!
तूम सौ जाऔ केवल भाई वरना गंदगी तूम को साफ करने पडेगी|
कहां तलाश करोगे तुम दिल हमारे जैसा,
जो तुम्हारी बेरूखी भी सहे ओर प्यार भी करे !
भूलना सीखिए जनाब…..।
एक दिन दुनिया भी वही…. करने वालीहै.!!
फिर यूँ हुआ कि सब्र की उँगली
पकड़कर हम..इतना चले कि रास्ते हैरान हो गए..
वो कहता है की बता तेरा दर्द कैसे समझू,
मैंने कहा की इश्क़ कर और कर के हार जा !!
झुके थे तेरे आगे..बिके नहीं थे..
जो इतना गुमान कर गयी..