मुझे मालूम है उड़ती पतंगों की रवायत..
गले मिलकर गला काटूँ मैं वो मांझा नहीं..
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
मुझे मालूम है उड़ती पतंगों की रवायत..
गले मिलकर गला काटूँ मैं वो मांझा नहीं..
किश्तों में खुदकुशी कर रही है ये जिन्दगी,
इंतज़ार तेरा मुझे पूरा मरने भी नहीं देता।
घर की इस बार मुकम्मल तौर से मैं तलाशी लूँगा”जनाब”
मेरे ग़म छुपा कर आखिर मेरी माँ रखती कहाँ है
रौशनी में कुछ कमी रह जाये तो बता देना..दिल आज भी हाज़िर है, जलने को…!!
कोई सुलह करादे जिंदगी की उलझनों से,
बडी़ तलब लगी है आज मुसकुराने की…
जब तालीम का बुनियादी मकसद नौकरी का हासिल करना होगा,
तो समाज में नौकर ही पैदा होंगे रहनुमा नहीं….
मेरा इश्क़ फ़क़ीरी मेरी,
तेरा इश्क़ ख़जाना मेरा…
अभी इस तरफ़ न निगाह कर मैं ग़ज़ल की पलकें सँवार लूँ..
मेरा लफ़्ज़-लफ़्ज़ हो आईना तुझे आईने में उतार लूँ…
बड़ा आदमी वो कहलाता है,
जिससे मिलने के बाद कोई ख़ुद को छोटा न महसूस करे..!!
ना पीछे मुड़कर देखो ना आवाज दो मुझको,
बड़ी मुश्किल से सीखा है मैंने अलविदा कहना |
मैं ना कहता था वक़्त ज़ालिम है,
देखो, एक ख्वाब बन गए हो तुम!!