घर की इस बार

घर की इस बार मुकम्मल तौर से मैं तलाशी लूँगा”जनाब”

मेरे ग़म छुपा कर आखिर मेरी माँ रखती कहाँ है

जब तालीम का

जब तालीम का बुनियादी मकसद नौकरी का हासिल करना होगा,

तो समाज में नौकर ही पैदा होंगे रहनुमा नहीं….

ना पीछे मुड़कर देखो

ना पीछे मुड़कर देखो ना आवाज दो मुझको,
बड़ी मुश्किल से सीखा है मैंने अलविदा कहना |

मैं ना कहता था वक़्त ज़ालिम है,
देखो, एक ख्वाब बन गए हो तुम!!