रिश्ता तोडना मेरी फितरत में नहीं,
हम तो बदनाम है रिश्ता निभाने के लिये..
Category: Love Shayri
साहिब ए अकल
साहिब ए अकल हो तो एक मशविरा तो दो….
एहतियात से इश्क करुं या इश्क से एहतियात…..
ख़ुद के लिए
ख़ुद के लिए या ख़ुदा के लिए जीने की तमन्ना थी,
तुम कब ज़िंदगी बन गए रूह को इल्म ही ना हुआ|
होने को तो बहुत
होने को तो बहुत कुछ फिर से हो जाता है,
लेकिन इश्क़ और इत्तेफ़ाक़ अक्सर नहीं हुआ करते !!
समझने वालों को
समझने वालों को तो बस इक इशारा काफी होता है
वरना कभी कभार बिन चाँद के भी रात का गुजारा होता है ।
उफ़ ये रोज़ रोज़
उफ़ ये रोज़ रोज़ ख़ुद से बातें बगावत की
उफ़ ये रोज़ रोज़ तुझ बिन रातें आमावस की|
अपनी मंज़िल पे
अपनी मंज़िल पे पहुंचना और खड़े रहना भी,
कितना मुश्किल है बड़े होकर बड़े रहना भी ..!!
किसी की खातिर
किसी की खातिर मोहब्बत की इन्तेहाँ कर
दो,
लेकिन इतना भी नहीं कि उसको खुदा कर
दो|
चल ओ रे मांझी
चल ओ रे मांझी तू चल ।
अपनी राहों को बनाके एक कश्ती हर पल
न दे के हवाला की क्या होगा यहाँ कल
कुछ अधूरी ख्वाईशो मे भर और बल
कभी उन्हें अपना बना,उनके रंगों मे ढल
युही हर मोड़ हर शहर हर डगर
मुसलसल कर कुछ तू यु पहल
चल ओ रे मांझी तू चल ।
आज पास हूँ
आज पास हूँ तो क़दर नहीं है तुमको,
यक़ीन करो टूट जाओगे तुम मेरे चले जाने से|