हजारो ने दिल हारे है तेरी सुरत देखकर,
कौन कहता है तस्वीर जूआँ नही खेलती
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
हजारो ने दिल हारे है तेरी सुरत देखकर,
कौन कहता है तस्वीर जूआँ नही खेलती
Insaan sochta Hai k Paisa Aye To ,
Mai Kuchh Kar K Dikhau,
Aur
Paisa Sochta Hai K
Tu Kuchh Kar K Dikha To,
Mai Aau.
तुम्हारे पाँवों के नीचे कोई ज़मीन नहीं ,
कमाल ये है कि फिर भी तुम्हें यकीन नहीं
Jo Khoya Hai Us Ka Ghum Nahi!
“Lekin Jo Paaya Hai Wo Kisi Sey Kam Nahi!
Jo Nahi Hai Wo Ek Khawab Hai
Aur
Jo Hai Wo Lajwab Hai………
मसला एक यह भी है जालिम दुनिया का..,
कोई अगर अच्छा भी है, तो अच्छा क्यूँ है…!
आप आते हैं कभी तारीख, महीना,कभी साल की तरह
कभी तशरीफ तो हो महफ़िल में एक इंसान की तरह।।
Kismat Pehle Hi Likhi Ja Chuki Hai ….
to
Koshish Karne Se Kya Milega?
सुनो…..!!
कुछ ऐसे सिमट जाओ मुझमे…
जैसे ब्लैक एंड व्हाईट टीवी के एंटीने से पतंग उलझी रहती है…..!!
Nazar aur Naseeb ka Kuch Aisa Ittefaq hai
ki…….
Nazar Ko Aksar Wahi Cheez Pasand Aati Hai Jo Naseeb Mein Nahi Hoti !!
aur
Naseeb Me Likhi Cheez Aksar Nazar Nahi Aati…
हैं दफ्न मुझमें मेरी कितनी रौनकें, मत पूँछ मुझसे….!!
उजड़ – उजड़ के जो बसता रहा, वो शहर हूँ मैं…