सब सो गए थे अपना दर्द अपनो को सुना कर
मेरा भी कोई अपना होता तो मुझे भी नींद आ जाती…….
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
सब सो गए थे अपना दर्द अपनो को सुना कर
मेरा भी कोई अपना होता तो मुझे भी नींद आ जाती…….
Yaadon ki kimat wo kya jaane,
Jo khud hi yaadon ko mita baithe hain,
Yaadon ki kimat to unse puchoo jo yaadon ke sahare,
Jindagi bita diya karte hain.
Hamari Kahani Sun Saki Ki Bhi Aankhon
Main Aansoo Aa Jate Hain, Saare Maikhane Ki
Sharab Peekar Bhi Hum Nashe Main Nahi Aate
Hain, Kya Karein Saki Ab To Itni Jyada Peene
Lage Hain, Kay Hum Maikhane Main Bhi
Darwaje Se Lauta Diye Jate Hain…
आतिश ए राख हूँ बेशक बुझा बुझा सा
लगता हूँ मैं….
मेरे जख्मों को हवा मत देना जमाना फूंक
सकता हूँ मैं…
ऐ उम्र !
कुछ कहा मैंने,
पर शायद तूने सुना नहीँ..
तू छीन सकती है बचपन मेरा,
पर बचपना नहीं..!!
हर बात का कोई जवाब नही होता
हर इश्क का नाम खराब नही होता…
यु तो झूम लेते है नशेमें पीनेवाले
मगर हर नशे का नाम शराब नही होता…
खामोश चेहरे पर हजारों पहरे होते है
हंसती आखों में भी जख्म गहरे होते है
जिनसे अक्सर रुठ जाते है हम,
असल में उनसे ही रिश्ते गहरे होते है..
किसी ने खुदासे दुआ मांगी
दुआ में अपनी मौत मांगी,
खुदा ने कहा, मौत तो तुझे दे दु मगर,
उसे क्या कहु जिसने तेरी जिंदगी की दुअा मांगी…
हर इंन्सान का दिल बुरा नही होता
हर एक इन्सान बुरा नही होता
बुझ जाते है दीये कभी तेल की कमी से….
हर बार कुसुर हवा का नही होता !!!
ऐ उम्र !
कुछ कहा मैंने,
पर शायद तूने सुना नहीँ..
तू छीन सकती है बचपन मेरा,
पर बचपना नहीं..!!
हर बात का कोई जवाब नही होता
हर इश्क का नाम खराब नही होता…
यु तो झूम लेते है नशेमें पीनेवाले
मगर हर नशे का नाम शराब नही होता…
खामोश चेहरे पर हजारों पहरे होते है
हंसती आखों में भी जख्म गहरे होते है
जिनसे अक्सर रुठ जाते है हम,
असल में उनसे ही रिश्ते गहरे होते है..
किसी ने खुदासे दुआ मांगी
दुआ में अपनी मौत मांगी,
खुदा ने कहा, मौत तो तुझे दे दु मगर,
उसे क्या कहु जिसने तेरी जिंदगी की दुअा मांगी…
हर इंन्सान का दिल बुरा नही होता
हर एक इन्सान बुरा नही होता
बुझ जाते है दीये कभी तेल की कमी से….
हर बार कुसुर हवा का नही होता !!!
कशिश हो तो दुनियां मिलने को मचलती है,
जिन्दगी शर्तो से नहीं जिंदा दिली से चलती है..
तुझे चिठ्ठीयाँ नहीं करवटों की नकल भेजेंगे..
अब चादर के नीचे ..
कार्बन लगाने लगे हैं हम..
तेरे दीदार के काबिल कहाँ मेरी
नजर है …….
वो तो तेरी रहमत है जो तेरा रुख
इधर है ।।………
Tum the to waqt kahin thaherta nhi tha…
Ab waqt guzarne main bhi waqt lagata hain…