छोड़ा हाथ उसने सरे-राह बस ये कहते हुये,
घर मे बरकत नहीं होती पुरानी चीज़ों के रहते हुये…
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
छोड़ा हाथ उसने सरे-राह बस ये कहते हुये,
घर मे बरकत नहीं होती पुरानी चीज़ों के रहते हुये…
मुझे तो पहले से ही यकीन
था तेरी फितरत पर,बस तेरा नज़रें फेर के
जाते हुए देखना बाकी था|
मुझको मेरी शक्ल आज लग रही है अजनबी..
ना जाने कौन मेरे घर के आईने बदल गया…!!
गलत निकलेगा तेरा अन्दाजा।
वक़्त मेरा भी सही आयेगा ।।
ज़िन्दगी बहुत ख़ूबसूरत है, सब कहते थे।
जिस दिन तुझे देखा, यकीन भी हो गया।
मेरी गलती करने की आदत नहीं फिर भी करता हूँ,
क्योंकि अच्छा लगता है तेरा प्यार से समझाना..!
कल रात मौत आयी थी
गुस्से मेँ बोली
“जान ले लुंगी तेरी.. ”
मैने भी कह दिया:
जिस्म ले जाओ, .
“जान” तो
“दोस्तों” के पास हैं..!!
न जाने इस जिद का नतीजा क्या होगा,
समझता दिल भी नहीं
मै भी नहीं और तुम भी नही.
कौन कहता है आईना झूठ नहीं बोलता… वह
सिर्फ होठो की मुस्कान देखता है… दिल का दर्द नहीं…!!
करेगा जमाना कदर हमारी भी एक दिन देख लेना…
बस जरा ये भलाई की बुरी आदत छुट जाने दो.