क्या हुआ जो उसने रचा ली मेहँदी,
हम भी अब सेहरा सजायेंगे,
तो क्या हुआ अगर वो हमारे नसीब में नहीं,
अब हम उसकी छोटी बहन पटायेंगे!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
क्या हुआ जो उसने रचा ली मेहँदी,
हम भी अब सेहरा सजायेंगे,
तो क्या हुआ अगर वो हमारे नसीब में नहीं,
अब हम उसकी छोटी बहन पटायेंगे!
ज़ख़्म इतने गहरे है हमको मालूम ना था
हम खुदी पर वार करते रहे यह ख़याल ना था
खुद ही लाश बन गये इस ख़याल से के जनाज़े पे
वो मेरे आएँगे अब इस से ज़्यादा उनके
दीदार का इंतिज़ार क्या करे|
कोई सवाल करेगा तो क्या कहूँगा उसे,,
बिछड़ने वाले, सबब
तो बता जुदाई का
यूँ सामने आकर
ना बैठा करो,
सब्र तो सब्र है,
हर बार नही होता!!!
क्या खबर थी के चलेगी कभी ऐसी भी हवा…
.
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खुश्क पत्तों की तरह दोस्त बिखर जाएंगे…
आदमी सुनता है मन भर ,,
सुनने के बाद प्रवचन देता है टन भर,,”
और खुद ग्रहण नही करता कण भर।
ये न पूछ के शिकायतें कितनी है तुझसे
ये बता के तेरा और कोई सितम बाकी तो नहीं …!!
ए जिंदगी तेरे जज्बे को सलाम..
पता है मंज़िल मौत है फिर भी दौड़ रही है..
अर्थ लापता हैं…या फिर शायद…लफ्ज़ खो गए हैं,
रह जाती है…मेरी हर बात क्यूँ,
इरशाद होते होते…..
समझा जिसे सिर्फ इक दिल का सौदा,
वो इश्क़ तो पूरा कारोबार निकला ।।