मिलन के अपनी आँखों में

मिलन के अपनी आँखों में अगर इम्कान महकेंगे।
धड़कते दिल में पंकज फिर कई अरमान महकेंगे।
मेरी साँसों में घुल जाये तुम्हारी सांस गर आकर।
तो साँसों में मुहब्बत के कई तूफ़ान महकेंगे।

अब कहां दुआओं

अब कहां दुआओं में
वो बरक्कतें,…
वो नसीहतें …
वो हिदायतें,

अब तो बस …
जरूरतों का जुलुस हैं …
मतलबों के सलाम हैं

ये भ्रम था

ये भ्रम था की सारा बाग़ अपना है ….
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पर तूफान के बाद पता चला ….
की सूखे पत्तों पे भी हक….बेरहम हवाओ का था|