सब से ज्यादा “वजनदार”
“खाली जेब” होती है साहब,
चलना “मुश्किल” हो जाता है…
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
सब से ज्यादा “वजनदार”
“खाली जेब” होती है साहब,
चलना “मुश्किल” हो जाता है…
ना आसूंओं से छलकते हैं ना कागज पर उतरते हैं..*
*दर्द कुछ होते हैं ऐसे जो बस भीतर ही भीतर पलते है..
उधेड़ देता है जमाना जब जज़्बात मेरे
मैं कलम से अपने हालात रफू कर लेता हूँ।
धड़कनों को भी रास्ता दे दीजिये हुजूर, आप तो पूरे दिल पर कब्जा किये बैठे है….
तेरे गुरुर को देख कर तेरी तमन्ना ही छोड़ दी हमने…
ज़रा हम भी तो देखें कौन चाहता है तुम्हे हमारी तरह…
कभी मिल जाये तो पूछना है उससे…
क्या अब भी मेरे नाम का रोज़ा रखती हो..
इन में दीखता है मेरा चेहरा ज़माने भर को,
अपनी आँखों की ज़रा नज़र उतरा कीजिये..
हम जिस के हो गए वो हमारा न हो सका
यूँ भी हुआ हिसाब बराबर कभी कभी|
खोटे सिक्के जो अभी अभी चले है बाजार में।
वो भी कमियाँ खोज रहे है मेरे किरदार में।।
तुझे ही फुरसत ना थी किसी अफ़साने को पढ़ने की,
मैं तो बिकता रहा तेरे शहर में किताबों की तरह..