मकान बन जाते है

मकान बन जाते है कुछ हफ़्तों में,
ये पैसा कुछ ऐसा है..

और घर टूट जाते है चंद पलों में,
ये पैसा ही कुछ ऐसा है…!!!

ज़मीं पर आओ

ज़मीं पर आओ फिर देखो हमारी अहमियत क्या है
बुलंदी से कभी ज़र्रों का अंदाज़ा नहीं होता|