ये शायरी भी

ये शायरी भी दिल बहलाने का एक तरीक़ा है साहब
जिसे हम पा नही सकते उसे अल्फ़ाज़ो में जी लेते है |

लफ्जों से फतह

लफ्जों से फतह करता हूँ
लोगों के दिलों को…”यारों…!”

मैं ऐसा बादशाह हूँ जो
कभी लश्कर नहीं रखता हूँ…!