लिख के उसे मिटाने की बुरी आदत है कि,
इसी वजह से मैं उसके तकदीर में आते-आते रह गया।
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
लिख के उसे मिटाने की बुरी आदत है कि,
इसी वजह से मैं उसके तकदीर में आते-आते रह गया।
नुमाइश करने से मोहब्बत बढ़ नही जाती…
मोहब्बत वो भी करते है जो इज़हार तक नही करते…
अब तो शराब ही से बुझाने लगे हैं प्यास..
लेने लगे हैं काम यक़ीं का गुमाँ से हम..
जीवन जीना हो तो
दर्पण की तरह जीओ,
जिसमें स्वागत सभी का हो
लेकिन संग्रह किसी का भी नहीं…
डूब कर सूरज ने, मुझे और भी तन्हा कर दिया…
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साया भी अलग हो गया,मेरे अपनो की तरह…
सुकून नसीब नहीं है मुझे, उजालों में…
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चिराग लेकर, अंधेरा तलाश करता हूं…
बहुत करीब से अंजान बन के गुज़रे हैं वो….
जो बहुत दूर से पहचान लिया करते थे…..
मौला तू भी कमाल करता है।
आँखे ब्लैक & व्हाइट देता है।
और ख़्वाब रंगीन दिखाता है ।
तमाम उमर जिंदगी से दूर रहे
तेरी खुशी के लिए तुझसे दूर रहे
अब इससे बढ़कर वफ़ा – ए -सजा क्या होगी
की तेरे हो कर भी तुझसे दूर रहे ??
चलो कायनात बांट लेते हैं….
तुम अगले जन्म मेरी, मै जन्मों जन्म तुम्हारा|