क्या बताएँ अपनी दास्ताँ तुम्हें छोड़ो बात एक दिन पुरानी है….
ज़िस्म के एक हिस्से में दर्द बेझिल और आँख में पानी है|
Category: Love Shayri
एकांत को पिघला कर
एकांत को पिघला कर उसमें व्यस्त रहता हूँ, इन्सान हूँ मुरझा कर भी मस्त रहता हूँ
खुद को समझे वो
खुद को समझे वो लाख मुक्कमल शायद…
मुझको लगता है अधूरी वो मेरे बिना|
ये एक ऐसी ख़्वाहिश
ये एक ऐसी ख़्वाहिश जो मिटती ही नही
हौले से छुआ था कल रात तुझे ख्वाबों में
जी भर के तुझे देख लिया इतने करीब थे तुम
फिर भी नज़र है कि तुझसे हटती नही|
मैं फलक ठहरा
मैं फलक ठहरा वो दरिया जमीन पर बिखरी…
रुख़सती तो दूर हुई मिलन ही कहाँ मुकम्मल
तुम ही रख लो
तुम ही रख लो अपना बना कर..
औरों ने तो छोड़ दिया तुम्हारा समझकर|
इश्क़ की अदालत
इश्क़ की अदालत का ये फ़ैसला अनोखा हैं…
सज़ा ए उम्र उसी को जिसने खाया धोखा है…
तुम में और आइने में
तुम में और आइने में कोई फर्क नहीं
जो सामने आया तुम उसी के हो गए !
हम मेहमान नहीं
हम मेहमान नहीं बल्कि रौनक-ऐ-महफ़िल है,
मुद्दतों याद रखोगे की जिंदगी में आया था कोई!!
तुम मेरे हो
फ़क्र ये के तुम मेरे हो,
फ़िक्र ये पता नही कब तक…