क्या बताएँ अपनी

क्या बताएँ अपनी दास्ताँ तुम्हें छोड़ो बात एक दिन पुरानी है….
ज़िस्म के एक हिस्से में दर्द बेझिल और आँख में पानी है|

ये एक ऐसी ख़्वाहिश

ये एक ऐसी ख़्वाहिश जो मिटती ही नही
हौले से छुआ था कल रात तुझे ख्वाबों में
जी भर के तुझे देख लिया इतने करीब थे तुम
फिर भी नज़र है कि तुझसे हटती नही|