तुम हज़ार बार भी

तुम हज़ार बार भी रुठोगे तो मना लूंगा तुमको मगर,
शर्त ये है कि मेरे हिस्से की मुहब्बत में शामिल कोई दूसरा ना हो..

आजाद कर देंगे

आजाद कर देंगे तुम्हे अपनी चाहत की कैद से,
मगर, वो शख्स तो लाओ जो हमसे ज्यादा कदर करे तुम्हारी..

उस तीर से

उस तीर से क्या शिकवा, जो सीने में चुभ गया,

लोग इधर हंसते हंसते, नज़रों से वार करते हैं।

दर्द दे गए

दर्द दे गए सितम भी दे गए.. ज़ख़्म के साथ वो मरहम भी दे गए,

दो लफ़्ज़ों से कर गए अपना मन हल्का, और हमें कभी न रोने की क़सम दे गए|

एक शब्द है

एक शब्द है दुःख, कहो
कई – कई तरह से फेर।
दुःख ही दुःख है ज़िंदगी
सुख की यहाँ नहीं ख़ैर।।